Sunday, July 22, 2018

भारत के गवर्नर जनरल


                गवर्नर ,गवर्नर जनरल एवं वायसराय


बंगाल के गवर्नर

1.लार्ड क्लाइव 1757-67 ई

प्लासी का युद्ध 23 जून,1757 ईस्वी

(अंग्रेजो और सिराजुद्दौला के बीच)

वांडीवाश का युद्ध 1760 ई

(अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच)

बक्सर का युद्ध 1764 ई

(अंग्रेजों और मीर कासिम, अवध के नवाब सिराजुद्दौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच)

प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध 1767-69 ईसवी

(हैदर अली और अंग्रेजो के बीच)

मद्रास की संधि 1769 ई

2.वारन हेस्टिंग 1772-74 ई

रेगुलेटिंग एक्ट 1773 ई

(बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा जिसका कार्य 5 वर्षों का निर्धारित किया गया मद्रास एवं बंबई के गवर्नर को इसके अधीन कर दिया गया)

                     बंगाल के गवर्नर जनरल

1.वारन हेस्टिंग- 1774-85 ईस्वी

एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना (सर विलियम जोंस -1784 ई)

पहला समाचार पत्र बंगाल गजट का प्रकाशन (जेम्स ऑगस्टस हिक्की -1780 ई)

प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775-82 ई

(सलबई की संधि -1782 ई)

प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध 1780-82 ई

(मंगलूर की संधि 1784 ई)

पिट्स इंडिया एक्ट 1784 ई

(रेग्युलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने और ईस्ट इंडिया कंपनी के भारतीय क्षेत्रों के प्रशासन को अधिक सक्षम और उत्तरदायित्वपूर्ण बनाने के लिये लाया गया था जिसे ब्रिटेन के तत्कालीन युवा प्रधानमंत्री विलियम पिट के नाम पर रखा गया था)

2. जॉन मैकफर्सन 1785-86 ई

3. लार्ड कार्नवालिस 1786-93 ई

बिहार तथा बंगाल में स्थाई कर व्यवस्था(permanent settlement) 1793 ईस्वी

(जिसके तहत जमींदारों को भू राजस्व का लगभग 90% यानी 10/11 भाग कंपनी को तथा लगभग 10% यानी 1/11 भाग अपने पास रखना था)

भारत में नागरिक सेवा सिविल सर्विसेस का जनक माना जाता है

तीसरा आंग्ल मैसूर युद्ध 1790-92 ई

(श्रीरंगपट्टनम की संधि 1792 ई)

4. सर जॉन शोर 1793-98 ईस्वी

चार्टर एक्ट 1993 ई

5. लार्ड वेलेजली 1798-1805 ईस्वी

सहायक संधि (subsidiary Alliance) की शुरुआत 1798 ई

(इसे सर्वप्रथम हैदराबाद को मिलाया)

चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध 1799 ई

(टीपू सुल्तान की मृत्यु)

दूसरा आंग्ल मराठा युद्ध 1803-06 ई

बेसिन की संधि 1802 ईस्वी

(ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय)

फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना

6.जॉर्ज बार्लो 1805-07 ईस्वी

7. लॉर्ड मिंटो प्रथम 1807-13 ई

अमृतसर की संधि 1809 ईस्वी

(रंजीत सिंह एवं अंग्रेजो के बीच)

चार्टर एक्ट 1813 ई

8. लॉर्ड हेस्टिंग्स 1813-23 ई

तीसरा आंग्ल मराठा युद्ध 1813-19 ई

(मराठों की शक्ति को अंतिम रूप से नष्ट कर दिया गया)

आंग्ल नेपाल युद्ध 1814-16 ईस्वी

(संगोली की संधि 1816 ईस्वी -अंग्रेजो और गोरखों के बीच)

9. लाॅर्ड एमहस्र्ट 1823-28 ई

10. लॉर्ड विलियम बैटिंग 1828-33 ई

राजा राममोहन राय के सहयोग से सती प्रथा का अंत- 1829 ई

कर्नल सलीमन की सहायता से ठगी प्रथा का अंत-1830 ई

शिशु बालिका की हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया गया

(1833 ईस्वी के चार्टर एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया)

                   भारत के गवर्नर जनरल

1.लोर्ड विलियम बेंटिक-1833-35 ई

कोलकाता मेडिकल कॉलेज की स्थापना 1835 ई मैकाले की अनुशंसा पर अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया-1835 ई

2. चार्ल्स मेटकाल्फ-1835-36 ई

भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है

3.लॉर्ड ऑकलैंड 1836-42 ई

4.लॉर्ड एलेनबरो 1842-44 ई

दास प्रथा का उन्मूलन

5. लॉर्ड हार्डिंग 1844-48 ई

प्रथम आंग्ल सिख युद्ध 1845-46 ईस्वी

(लाहौर की संधि 1846 ई)

नरबलि प्रथा  पर प्रतिबंध लगाया

6. लॉर्ड डलहौजी 1848-56 ई

द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध 1848-49 ई

(सिक्ख राज्य का प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा महारानी विक्टोरिया को भेज दिया गया)

doctrine of lapse

(इसे प्रथम राज्य सितारा को मिलाया गया 1848 ई)

(रेलवे का जनक 1853 ई)

1854 ईस्वी में नया पोस्ट ऑफिस एक्ट पारित हुआ और भारत में पहली बार डाक टिकट का प्रचलन प्रारंभ हुआ

सार्वजनिक निर्माण विभाग पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट- PWD की स्थापना

टेलीग्राम सेवा

7. लॉर्ड कैनिंग 1856-58 ई

भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था

इंडियन हाई कोर्ट एक्ट 1835 पारित हुआ जिसके द्वारा मुंबई एवं मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गई

1856 ई में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ

1857 का विद्रोह

                        भारत के वायसराय

1.लॉर्ड कैनिंग 1858-1862 ई

डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स समाप्त कर दिया गया।

1861 ईस्वी में इंडियन कौंसिल एक्ट पारित हुआ तथा  पोर्टफोलियो प्रणाली लागू की गई

2. लॉर्ड एल्गिन 1862-63 ई

3. सर विलियम डेनिसन 1863-64 ई

4. सर जॉन लॉरेंस 1864-69 ई

5. लॉर्ड मयो 1869-72 ई

भारत में वित्तीय विकेंद्रीकरण की नीति की शुरुआत की (introduce the concept of Financial decentralization in India)

6. लॉर्ड नार्थब्रुक 1872-76 ई

(मेरा उद्देश्य करो को हटाना तथा आवश्यक वैधानिक पर वायु को बंद करना)

कूका आंदोलन

7. लॉर्ड लिटन 1876-80 ई

भारतीय समाचार पत्र अधिनियम (वर्नाकुलर प्रेस एक्ट) पारित किया-1878 ई

भारतीय शस्त्र अधिनियम पारित हुआ जिसके तहत स्वस्थ रखने एवं व्यापार करने के लिए लाइसेंस को अनिवार्य बना दिया गया।

सिविल सेवा परीक्षा में प्रवेश की अधिकतम आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दी गई

8. लॉर्ड रिपन 1880-84 ई

सिविल सेवा में प्रवेश की आयु को 19 वर्ष से बढाकर 21 वर्ष कर दिया

1881 ईस्वी में भारत में नियमित जनगणना करवाया।

प्रथम कारखाना अधिनियम 1881 ई

फ्लोरेंस नाइटेंगल ने रिपन को भारत के उद्धारक की संज्ञा दी

9. लॉर्ड डफरिन 1884-88 ई

28 दिसंबर, 1850 ईस्वी को मुंबई में गेहूं के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।

10. लॉर्ड लैंसडाउन 1888-94 ई

11. लॉर्ड एल्गिन द्वितीय 1894-99 ई

12. लॉर्ड कर्जन 1899-1905 ई

भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित-1904 ई

भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना

कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के निर्माण

बंगाल का विभाजन 1905 ई

13.लॉर्ड मिंटो द्वितीय 1905-10 ई

1907 ईस्वी में सूरत में कांग्रेस का विभाजन हो गया उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष रासबिहारी बोस थे

आगॉ खां सलीम उल्ला खां के द्वारा ढाका में 1906 ई में मुस्लिम लीग की स्थापना की गयी।

14. लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय 1910-15 ई

भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित की गई-1912 ई

18 जुलाई 1914 ई को प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ।

गांधी जी का आगमन- 9मालवीय-1915 ई

हिंदू महासभा का गठन- मदन मोहन मालवीय- 1915 ई

15. लॉर्ड चेम्सफोर्ड 1916-21 ई

1916 ई में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई

1919 ई में रौलट एक्ट पारित हुआ

13 अप्रैल,1919 ईको जलियांवाला बाग (अमृतसर) हत्याकांड

खिलाफत आंदोलन 1919-22 ई एवं गांधी का असहयोग आंदोलन 1920-22 ई इसी के समय प्रारंभ हुआ।

16. लॉर्ड रीडिंग 1921-26 ई

5 फरवरी 1922 ईस्वी को चौरी-चौरा कांड (गोरखपुर, Uttar Pradesh)

1923 ई चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में कांग्रेस के अंतर्गत स्वराज पार्टी की स्थापना।

1921 ई में मोपला विद्रोह (1920 ईस्वी में केरल के मालाबार क्षेत्र में महिलाओं द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ शुरू किया गया था)

1921 ई एम एन राय द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन।

17. लॉर्ड इरविन 1926-31 ई

3 फरवरी, 1928 ई में साइमन कमीशन मुंबई पहुंचा।

12 मार्च, 1930 ईस्वी में गांधी जी के द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ।

लाला लाजपत राय की मृत्यु के बदले में भारतीय चरमपंथियों के द्वारा दिल्ली के असेंबली हॉल में 1929 में बम फेंका गया।(8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय असेंबली में बम फेंका था।

12 नवंबर 1930 ईस्वी में प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ इस सम्मेलन में कांग्रेस में भाग नहीं लिया।

5 मार्च 1931 ईस्वी को गांधी इरविन समझौता पर हस्ताक्षर किया गया और साथी सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया गया।

18. लॉर्ड विलिंगडन 1931-36 ई

1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन हुआ जिसमें गांव महात्मा गांधी ने भाग लिया।

पूना समझौता 1932 ईस्वी (महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर के बीच)

1935 में तृतीय गोलमेज सम्मेलन हुआ जिसमें कांग्रेस ने भाग नहीं लिया।

भारत सरकार अधिनियम 1935 पास किया गया।

19. लॉर्ड लिनलिथगो 1936-43 ई

किसके समय में पहली बार चुनाव कराए गए थे।

1939 ई में द्वितीय विश्व प्रारंभ हुआ(उसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल थे)

1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान की मांग की गई थी।

30 मार्च 1942 ई में क्रिप्स मिशन भारत आया था।

8 अगस्त, 1940 ईस्वी को अगस्त प्रस्ताव अंग्रेजो के द्वारा लाया गया था।

9 अगस्त 1942 ईस्वी को कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया।

20. लॉर्ड वेवेल 1944-47 ईस्वी

1946 ई में कैबिनेट मिशन भारत आया (इस मिशन के सदस्य थे स्टेफोर्ड क्रिप्स पेथिक लॉरेंस ए बी एलेग्जेंडर)

20 फरवरी 1948 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली (लेबर पार्टी) में हाउस ऑफ कॉमंस में यह घोषणा की कि जून 1948 ईस्वी तक प्रभुसत्ता भारतीयों के हाथ में दे देंगे।

21.लॉर्ड माउंटबेटन मार्च 1947 ई जून 1948 ईस्वी तक

15 अगस्त 1947 ईस्वी को भारत स्वतंत्र हुआ स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन हुए।

स्वतंत्र भारत के प्रथम एवं अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हुए।

धन्यवाद।
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Saturday, July 21, 2018

सिकंदर के बारे में जानिए रोचक बात


सिकन्दर महान


आज हम आपको एक ऐसे विश्वविजेता के जीवन के बारे में 8 सच्चाईयां बताएंगे जो आपकी नज़र में इसके महान होने के भ्रम को तोड़ देगीं।

1.वह राजा बनने के लिए अपने भाइयों को मार दिया था
सिकंदर का जन्म 356 ईसवी पूर्व में ग्रीक(यूनान) के मकदूनिया(मेसोडोनिया) में हुआ था। उसका पिता फिलिप मकदूनिया का राजा था जिसने कई शादियां की थी।   
336 ईसवी पूर्व में सिकंदर जब 19-20 साल का था तो उसके पिता फिलिप की हत्या कर दी गई। ऐसी भी कहा जाता है कि सिकंदर की मां ओलंपिया ने ही जह़र देकर अपने पति की हत्या करवाई थी।
अपने पिता की मृत्यु के पश्चात सिकंदर ने राजगद्दी पाने के लिए अपने सौतेले और चचेरे भाईयों का कत्ल कर दिया और मकदूनिया का राजा बन गया।
2. विश्वविजेता बनने का सपना उसे अरस्तू ने दिखाया था
सिकंदर का गूरू अरस्तू था जो एक बहुत ही प्रसिद्ध और महान दार्शनिक था। अरस्तू के महत्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज पूरी दुनिया में जहां – जहां भी दर्शनशास्त्र, गणित, विज्ञान और मनोविज्ञान पढ़ाया जाता है उसमें कहीं ना कहीं अरस्तू के विचारों जा वैज्ञानिक अनुभवों का उल्लेख जरूर होता है।
सिकंदर जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति को निखारने का काम अरस्तू ने ही किया। कई इतिहासकार मानते हैं कि वह अरस्तू ही था जिसने सिकंदर के मन में पूरी दुनिया जीतने का सपना जगाया।

इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिकंदर के विजयी अभियान के दौरान अरस्तू का भतीजा कलास्थनीज़ भी एक सेनापति के रूप में उसके साथ गया था।
3. सिकंदर का युद्ध कौशल
कोई राजा ऐसे ही महान नहीं बनता उसके अपनी योग्यता को निखारना होता है। यह सिकंदर की योग्यता का ही परिणाम था कि उसकी छोटी सी सेना बड़ी – बड़ी सेनाओ को मात दे दिया करती थी। सिकंदर की युद्ध रणनीतियों को आज भी युरोप की किताबों में पढ़ाया जाता है।

सिकंदर के पत्थर और आग के गोले फेंकने वाले गुलेलनुमा बड़े- बड़े हथियार और उसके सैनिकों की लंबी – लंबी ढ़ालें युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाती थी।

कई ऐसे मौकों पर जब सिकंदर की सेना युद्ध में कमज़ोर पड़ती दिखती तो सिकंदर खुद आगे होकर लड़ता जिससे उसकी सेना का मनोबल बढ़ जाता।
4. विश्वविजेता बनने की शुरुआत
सिकंदर ने सबसे पहले मकदूनिया के आसपास के राज्यों को जीतना शुरू किया। मकदूनिया के आसपास के राज्यों को जीतने के बाद उसने एशिया माइनर (आधुनिक तुर्की) की तरफ कूच किया।

तुर्की के बाद एक – दो छोटे राज्यों को छोड़कर विशाल फ़ारसी साम्राज्य था। फ़ारसी साम्राज्य मिस्त्र, ईरान से लेकर पश्चिमोत्तर भारत तक फैला था। उल्लेखनीय है कि फारस साम्राज्य सिकंदर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुणा ज्यादा बड़ा था।

फारसी साम्राज्य का राजा शाह दारा था जिसे सिकंदर ने अलग- अलग तीन युद्धों में हराकर उसके साम्राज्य को जीता। परंतु शाह दारा ने सिकंदर से संधि कर ली और अपनी एक पुत्री ऱुखसाना का विवाह उससे कर दिया।

फ़ारसी साम्राज्य जीतने में सिकंदर को करीब 10 साल लग गए। विजय के पश्चात उसने बहुत भव्य जुलूस निकाला और अपने आपको विश्व विजेता कहलाना शुरू कर दिया क्योंकि फ़ारस को जीतकर वह उस तमाम भूमि के 60 प्रतीशत हिस्से को जीत चुका था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक के लोगों की थी।

भारत तक पहुँचते – पहुँचते उसे शाह दारा के इलावा छोटे – छोटे राज्यों, सूबेदारों और कबीलों से भी युद्ध करना पड़ा जिसमें उसकी जीत हुई।
5. सिकंदर का भारत पर हमला
शायद सिकन्दर इतिहास का पहला राजा था जिसने पूरी दूनिया को जीतने का सपना देखा। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह ग्रीस से मिस्त्र, सीरिया, बैक्ट्रिया, ईरान, अफगानिस्तान और वर्तमान पाकिस्तान को जीतता हुआ भारत पहुंचा था।
सिकंदर ने भारत पर 326 ईसा पूर्व में हमला किया था। उस समय भारत छोटे – छोटे राज्यों और गणराज्यों में बंटा हुआ था। राज्यों में राजा शासन करते थे और गणराज्यों के मुखी गणपति होते थे जो प्रजा की इच्छा अनुसार ही फैसले लेते थे।
भारत में सिकंदर का सामना सबसे पहले तक्षशिला के राजकुमार अंभी से हुआ था। अंभी ने शीघ्र ही आत्मसमर्पण कर दिया और सिकंदर को सहायता दी।

सिकंदर अंभी द्वारा भेंट की गई दौलत को देखकर देख दंग रह गया। वह सोच में पड़ गया कि अगर भारत के एक छोटे से राज्य के पास इतनी धन – संपदा है तो पूरे भारत में कितनी होगी ? भारत की धन – संपदा देखकर उसे भारत जीतने की इच्छा ओर बढ़ गई।

इधर तक्षशिला विश्वविद्यालय के एक आचार्य चाणक्य से भारत पर किसी विदेशी का हमला देखा ना गया। चाणक्य ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए सभी राजाओं से सिकंदर के विरूद्ध लड़ने का आग्रह किया, परंतू सभी राजा अपनी आपसी दुश्मनी की वजह से एक साथ ना आए।

चाणक्य ने सबसे शक्तिशाली राज्य मगध के राजा धनानंद से भी गुहार लगाई, परंतू उसने चाणक्य का अपमान कर महल से निकाल दिया।

इसके बाद चाणक्य ने गणराज्यों से एक होने की अपील की जिसमें वह काफी सफल रहे, इन गणराज्यों ने वापसी के समय सिकंदर को बहुत नुकसान पहुँचाया।
6. हाइडेस्पेस का युद्ध
सिकंदर का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध झेलम नदी के तट पर राजा पुरू या पोरस से हुआ। इस युद्ध को ‘पितस्ता का युद्ध‘ या ‘हाइडेस्पेस का युद्ध‘ कहा जाता है।

महाराजा पुरू सिंध -पंजाब सहित एक बहुत बड़े भू – भाग के स्वामी थे और अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे।

सिकंदर की सेना को झेहलम नदी पार करके पोरस से युद्ध करना था परंतु वर्षा के मौसम के कारण नदी में बाढ़ आई हुई थी और नदी को पार करना मुश्किल था।

पर रात में किसी तरह यवन सेना नदी के पार पहुँच गई। नदी के उस पार राजा पुरू भी 30,00 पैदल सैनिकों, 4,000 घोड़सवारों, 300 रथों और 200 हाथियों के साथ सिकंदर के स्वागत के लिए तैयार खड़े थे।

सिकंदर ने महाराज पोरस के पास एक संदेश भिजवाया जिसमें पोरस को अधीनता स्वीकार करने को कहा पर पोरस ने ऐसा नहीं किया।

इसके बाद दोनो सेनाओं में भयंकर युद्ध शुरू हुआ। युद्ध के पहले ही दिन सिकंदर की सेना को जमकर टक्कर मिली। इस युद्ध के बाद सिकंदर की सेना का मनोबल टूट गया। सिकंदर ने भी अनुभव किया कि वो पोरस को हरा नहीं सकेगा और लड़ाई जारी रख के अपना ही नुकसान कर लेगा। अंतः उसने पोरस को युद्ध रोकने का प्रस्ताव भेजा जिसे पोरस ने मान लिया।

दोनों पक्षों में संधि हुई जिसके अनुसार पोरस सिकंदर को आगे आने वाले युद्ध अभियानों में सहायता करेगा और बदले में जीते हुए राज्यों पर पोरस शासन करेगा।
7.सिकंदर के सैनिकों का व्यास नदी पार करने से इनकार करना
पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर की सेना छोटे हिंदु गणराज्यों से भिड़ी। इसमें कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई काफी बड़ी थी। कठ जाति के लोग जिन्हें कथेयोई या कथा जाति भी कहा गया है, अपने साहस के लिए सर्वप्रसिद्ध थी। कठों ने एक बार तो यवनों के छक्के छुड़ा दिए थे, लेकिन कम संख्या के कारण उन्होंने हार का मुंह देखना पड़ा।

कठों से युद्ध लड़कर यवन सेना व्यास नदी तक पहुंच ही पाई थी कि उसने आने बढ़ने से मना कर दिया। उन्होंने सुन रखा था कि व्यास नदी के पार नंदवंशी राजा के पास 20 हज़ार घुड़सवार सैनिक, 2 लाख पैदल सैनिक, 2 हज़ार चार घोड़े वाले रथ और लगभग 6 हज़ार हाथी थे। इतनी विशाल सेना के बारे में सुनकर वह घबरा गए। पंजाब में उन्हें जिस विरोध का सामना करना पड़ा उससे उन्हें ज्ञात हो गया होगा कि भविष्य में उन्हें किस प्रकार के युद्ध लड़ने होंगे। पंजाब के छोटे-छोटे गणतन्त्रीय राज्यों की सेनाएँ भी इतने उत्साह से लड़ीं कि सिकंदर की सेना को अहसास हो गया था कि नंदों से टक्कर होने पर उनका क्या हाल होगा।

सिकंदर सारे भारत पर ही विजय पाना चाहता था लेकिन उसे अपने सैनिकों की मर्जी के कारण व्यास नदी से ही वापस लौट जाना पड़ा। वापिस जाते हुए उसे मालव और क्षुद्रक आदि कई वीर हिंदु गणराज्यों से संगठित विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि सिकंदर की योजना जाते – जाते इनके क्षेत्रों को जीतने की थी।

माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का बहुत बड़ा योगदान था। इन सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी क्षति पहुँचाई और उसकी सेना के हौसले पस्त कर दिए।
8. सिकंदर की मृत्यु
जब सिकंदर की सेना ने व्यास नदी पार करने से इंकार कर देने से उसके उसके विश्व विजय का सपना टूट गया।वह अत्याधिक शराब पीने लगा और उदास रहने लगा।

सिकंदर भारत में लगभग 19 महीने रहा। जब वह बेबीलोन (ईरान) पहुँचा तो 323 ईसवी पूर्व में 33 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई। उसकी मौत का कारण मलेरिया बताया जाता है।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई जबकि अन्य का मानना है कि उसकी जश्न के दौरान गुप्त तरीके से हत्या कर दी गई थी। शेप गत 10 वर्षों से जहरीले सबूत के बारे में अनुसंधान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आर्सेनिक और स्ट्रिकनीन के जहर के सिद्धांत हास्यास्पद हैं। अध्ययन के नतीजे ‘क्लिनिकल टॉक्सिकोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। 

सिकंदर बोला कि 'मेरी पहली इच्छा है कि मेरा इलाज करने वाला हकीम ही मेरे ताबूत को खींचकर कब्र तक ले जाएगा।' 'दूसरी ये कि जब मेरा ताबूत कब्र तक ले जाया जाए तो उस रास्ते में मेरे इकट्ठे किए हुए खजाने में से सोने-चांदी बहुमूल्य पत्थर बिखेरे जाएं' और मेरी तीसरी और आखिरी इच्छा है कि 'मेरे दोनों हाथ ताबूत में से बाहर दिखाई देने चाहिए
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Thursday, July 19, 2018

भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध

        EKLAVYA CAMPUS

STATIC GK 3

  भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध

1. हाईडेस्पीज का युद्ध या ,झेलम का युद्ध या बितास्ता का युद्ध

326 ईसा पूर्व

किसके बीच : सिकंदर और पंजाब के राजा पोरस

विजय: सिकंदर

2. कलिंग का युद्ध

261 ईसा पूर्व

किसके बीच : सम्राट अशोक और कलिंग के राजा

विजय: अशोक

3. तराईन का प्रथम युद्ध

1191 ई

किसके बीच :मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान

विजय: पृथ्वीराज चौहान

(मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान से 17 बार युद्ध लड़ा जिसमें उसे 16 बार हार का सामना करना पड़ा। 17वीं बार भी वह पृथ्वीराज चौहान को नहीं हरा पाता अगर उसके ससुर राजा जयचंद मोहम्मद गौरी का साथ ना दिया होता। पृथ्वीराज चौहान ने राजा जयचंद के खिलाफ जाकर उनकी बेटी संयोगिता को भगाकर उनसे शादी किया था)

4. तराईन का दूसरा युद्ध

1192 ईस्वी

किसके बीच : मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान
विजेता : मोहम्मद गौरी

5. पानीपत का प्रथम युद्ध

1526 ई

किसके बीच : मुग़ल शासक बाबर और इब्राहीम लोधी
विजेता : बाबर

6. खानवा का युद्ध

1527 ई

किसके बीच : बाबर और राणा सांगा
विजेता : बाबर

7. चंदेरी का युद्ध

1528 ई

किसके बीच : बाबर और मदनी राय
विजेता : बाबर

8. घाघरा का युद्ध

1529 ई

किसके बीच : बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में अफगानों से
विजेता : बाबर

9. चौसा का युद्ध

1539 ईस्वी

किसके बीच : शेरशाह सूरी और हुमायु
विजेता : शेरशाह सूरी

10. कन्नौज (बिलग्राम का युद्ध)

1540 ईस्वी में

किसके बीच : शेरशाह सूरी और हुमायु
विजेता : शेरशाह सूरी

11. पानीपत का द्वितीय युद्ध
1556 ई
किसके बीच : अकबर और हेमू
विजेता : अकबर

12. तालीकोटा का युद्ध

1565 ई

किसके बीच : दक्कन की सल्तनतों (बीजापुर, बीदर, अहमदनगर व गोलकुंडा की संगठित सेना) vs विजयनगर साम्राज्य
विजेता :  दक्कन की सल्तनतों

13. हल्दी घाटी का युद्ध

1576 ई

किसके बीच : अकबर और महाराणा प्रताप
विजेता : अकबर

14. प्लासी का युद्ध

1757 ई

किसके बीच : अंग्रेजो और सिराजुद्दौला, (मीरजाफर)

विजेता : अंग्रेजो (रोबर्ट क्लाव)

15. बेदारा की लड़ाई

1759 ई

किसके बीच: अंग्रेज़ों और डचों के बीच

विजेता : अंग्रेजो (रोबर्ट क्लाव)

(डचों ने मीर जाफर के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध लड़ा जिसमें ड्चों की बुरी तरह हार हुई)

15. वांडीवाश का युद्ध

1760 ई

किस के बीच : अंग्रेजो और फ्रांसीसियो
विजेता :  अंग्रेज

16. बक्सर का युद्ध

1764 ई

किसके बीच :  अंग्रेजों (हेक्टर मुनरो) और मुगल (मीर कासिम, अवध के नवाब  शुजाद्दौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच)
विजेता : अंग्रेज

17. प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध

1767-69 ई

किसके बीच : हैदर अली और अंग्रेजो
विजेता : हैदर अली

(मद्रास की संधि 1769 ईस्वी में)

19. द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध

1780-84 ई

किसके बीच : हैदर अली और अंग्रेजो(वारेन हेस्टिंग)
विजेता : अंग्रेज

(मंगलूर की संधि 1784 ईस्वी)

20. तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध

1790-92 ई

किसके बीच : टीपू सुल्तान और अंग्रेजो(लॉर्ड कार्नवालिस)
विजेता : अंग्रेज

(श्रीरंगपट्टनम की संधि 1792 ई)

21. चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध

1799 ई

किसके बीच: टीपू सुल्तान और अंग्रेजो(लॉर्ड मॉर्निंग्टन,बाद में लॉर्ड वेलेज़ली)

विजेता : अंग्रेज

22. प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध

1845-1846 ई

किसके बीच: अंग्रेजों (लॉर्ड हार्डिंग)

विजय: अंग्रेज

(लाहौर की संधि 1846 ईसवी)

23. द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध

1848-49 ई

किसके बीच: अंग्रेजों (लॉर्ड डलहौजी )और सिक्खों के बीच

विजय: अंग्रेज

(लॉर्ड डलहौजी के द्वारा संपूर्ण पंजाब का विलय अंग्रेजी राज में कर लिया गया और सिख राज्य का प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा महारानी विक्टोरिया को भेज दिया)

24.भारत-चीन युद्ध

1962 ई

कारण: हिमालय सीमा विवाद,

चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी।

विजय: चीनी सेना की जीत

(अक्साई चिन चीन के नियंत्रण में आ गया)

25.भारत पाक युद्ध-1965

कारण: 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध की हार से भारत अभी उबर रहा था और पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को कमजोर मानते हुए अपनी शक्ति को ज्यादा आंका। पाकिस्तान ने समझा कि शास्त्री युद्ध को झेलने में असमर्थ होंगे और भारत अशक्त है और सामना नहीं कर सकेगा। उसने सोचा कश्मीरी आवाम भारत से आजादी चाहता है, अगर ऐसे में पाकिस्तान उनकी मदद करेगा तो कश्मीर को पाकिस्तान में आने से कोई नहीं रोक सकता।

विजय: भारत

ताशकंद समझौता: 11 जनवरी 1966

(यह समझौता ताशकंद, रूस में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब ख़ाँ के बीच हुआ)

26. भारत पाक युद्ध-1971

कारण: पूर्वी पाकिस्तान पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ विरोध जिसका समर्थन भारत ने किया।

विजेता : भारत

(जनरल एके नियाजी ने हार स्वीकार करते हुए अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया था. भारत की तरफ से जनरल सैम मानेकशॉ उस समय सेना प्रमुख थे. इस जंग के बाद विश्व मानचित्र पर नये देश ने रुप लिया, जिसे आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं।)

शिमला समझौता: 3 जुलाई 1972 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। इसमें भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे।

इसमें यह प्रावधान किया गया कि दोनों देश अपने संघर्ष और विवाद समाप्त करने का प्रयास करेंगे, और यह वचन दिया गया कि उप-महाद्वीप में स्थाई मित्रता के लिए कार्य किया जाएगा।)

27. कारगिल युद्ध

(8 मई-14 जुलाई)1999
स्थान: कारगिल ज़िला, जम्मू-कश्मीर

कारण: वास्तव में कारगिल युद्ध कश्मीर हथियाने और भारत को अस्थिर करने के जिहादियों के 20 वर्ष से जारी अभियान का एक महत्वपूर्ण बिंदु है और यह अनेक मामलों में पहले की दोनों लड़ाइयों से भिन्न है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जहांगीर करामात के बीच 1998 के करीब, मतभेद बढ गये थे। करामात की सेवानिवृत्ति के पश्चात किसे सेना प्रमुख बनाया जाय इस बात पर भी बहस चल रही थी। नवाज़ शरीफ ने एक आम सभा में अपने ऊपर टीका-टिप्पणी की इस बात से गुस्सा होकर करामात ने सेना प्रमुख पद से इस्तिफा दे दिया। नवाज शरीफ ने जनरल परवेज़ मुशर्रफ को सेना प्रमुख के पद पर नियुक्त किया। कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश के पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार माना जाता है.

विजय: भारत

कारगिल विजय दिवस -26 जुलाई

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