परिचय
कैशलेस लेन-देन का मतलब ऐसे सौदों से होता है जहाँ पर किसी वस्तु या सेवा को खरीदने के लिए भुगतान “कैश” के रूप में न करके ऑनलाइन तरीकों जैसे मोबाइल बैंकिंग, इन्टरनेट बैंकिंग,चेक, ड्राफ्ट या किसी अन्य तरीके से जैसे मोबाइल वॉलेट ,Paytm इत्यादि से होता है|
उद्श्य
नोटबंदी के बाद सरकार चाहती थी कि लोग कैशलेस लेन-देन को अपनाएं ताकि कालेधन और नकली नोटों पर रोक लगे। इसलिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कैशलेस इंडिया की शुरुआत 2 जुलाई 2015 को की। जिसको ग्रामीण क्षेत्रों को उच्च गति वाले इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ने और डिजिटल साक्षरता में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
फायदे
कैशलेस होने के फ़ायदे हैं-टैक्स चोरी करना मुश्किल होगा, जाली नोटों की समस्या से निजात मिलेगा, आतंकवाद और अपराध की फंडिंग कठीन होगी, ई-कॉमर्स को बढ़ावा मिलेगा।चूंकि इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में हर लेनदेन पारदर्शी होगा इस कारण सरकार की कर आय में भी बढ़ोत्तरी होगी, जिसको वह लोगों के कल्याण पर खर्च कर सकेगी|
चुनौतियां
इससे जुड़ी कुछ परेशानियां भी हैं-कैशलेस भुक्तान के लिए सबसे बड़ी समस्या तकनीक की उपलब्धता तथा लोगों में जागरूकता हैं,इंटरनेट की धीमी गति, साइबर सुरक्षा और ताकतवर बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं की मनमानी का डर कैशलेस इंडिया के राह में बाधा बन सकता है।
सुझाव और निष्कर्ष
अगर आम लोग इस तकनीक का इस्तेमाल कर पाएंगे तब ही यह योजना सफल हो सकती है। इसके लिए साक्षरता के अभियान के साथ - साथ तकनिकी साक्षरता पर बल देना पड़ेगा। पढ़े - लिखे युवाओं का यह कर्तव्य बनता है कि वे आम आदमी को नवीनतम तकनीक जो कैशलेस से संबंधित है के बारे में जानकारी दे एंव प्रशिक्षित करें। अगर कैशलेस लेन - देन भारत में सफल हो जाता है तो यह एक चमत्कार होगा और भारत अतिशीघ्र आर्थिक महासक्ति बन जायेगा।
Thanku
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