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परिचय
जलवायु परिवर्तन वास्तव में पृथ्वी पर जलवायु की परिस्थितियों में बदलाव को कहा जाता है यह विभिन्न बाह्य एवं आंतरिक कारणों से होता है जिनमें सौर विकिरण, ज्वालामुखी विस्फोट, आदि सामिल है। हालांकि अभी हाल ही के वर्षों में वातावरण में हुआ परिवर्तन मुख्यतः मानव गतिविधियों का परिणाम है।
मुख्य भाग
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार मौसम में अनियंत्रित रूप से हो रहे बदलाव के चलते 2050 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 2.8% में कमी आ सकती है। इतना ही नहीं, इससे भारत के 60 करोड़ लोगों का रहन-सहन भी गिर सकता है इसके अलावा इस बदलाव से आने वाले सालों में देश की आर्थिक स्थिति 10% तक कम हो सकती है। वर्ष 2017 के जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) में भारत को इस साल 20वां स्थान मिला है।
कारक
जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण वैश्विक तपन है जो ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ का परिणाम है। जिसमें पृथ्वी से टकराकर लौटने वाली सूर्य की किरणों को वातावरण में उपस्थित कुछ गैसें(CO2,CH4,CFC etc) अवशोषित कर लेती हैं जिसके परिणामस्वरुप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है।जलवायु परिवर्तन के अन्य कारणों जैस- औद्योगीकरण, कोयले पर आधारित विद्युत तापगृह,विलासितापूर्ण जीवनशैली के कारण रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीश्नर तथा परफ्यूम का वृहद पैमाने पर उपयोग एवं जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि प्रमुख है।
उपाय
अगर कुछ सुरक्षात्मक उपाय किया जाए तो जलवायु परिवर्तन से बचा जा सकता है जैसे-जीवाष्म ईंधन के उपयोग में कमी की जाए,प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोतों (जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि)को अपनाया जाए, पेड़ों को बचाया एवं अधिक वृक्षारोपण किया जाए, प्लास्टिक जैसे अपघटन में कठिन व असंभव पदार्थ का उपयोग न किया जाए।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है।मनुष्य प्राकृतिक कारणों को तो नियंत्रित नहीं कर सकता लेकिन वह कम से कम यह सुनिश्चित जरूर कर सकता है कि वह वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली अपनी गतिविधियों को नियंत्रण में रखे ताकि धरती पर सामंजस्य बनाया रखा जा सके।
Thanku
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