EKLAVYA CAMPUS
परिचय
किसी भी राष्ट्र अथवा समाज में शिक्षा सामाजिक नियंत्रण, व्यक्तित्व निर्माण तथा सामाजिक व आर्थिक प्रगति का मापदंड होती है । भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश प्रतिरूप पर आधारित है जिसे सन् 1835 ई॰ में लागू किया गया ।
विस्तृत भाग
सन् 1835 ई॰ में जब वर्तमान शिक्षा प्रणाली की नींव रखी गई थी तब लार्ड मैकाले ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य सरकारी कार्य के लिए भारत के विशिष्ट लोगों को तैयार करना है । लगभग पिछले दो सौ वर्षों की भारतीय शिक्षा प्रणाली के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह शिक्षा उच्च वर्ग केंद्रित, श्रम तथा बौद्धिक कार्यों से रहित थी । इस आधुनिक शिक्षा की बुराई महात्मा गांधी ने भी की थी।
दोष
आज विद्यार्थी को इतनी अधिक पुस्तकें पढ़नी पड़ती है कि उन्हें पढ़ने और पढ़कर परीक्षा पास करने के सिवाय कुछ और सोच ही नहीं सकता ।बड़ा होने पर उसे अवश्य ही कोई अच्छी नौकरी मिल जायेगी। जब अच्छी नौकरी पाना ही सब प्रकार से जीवन का उद्देश्य हो जाय तो मानसिक विकास का प्रश्न ही कहाँ रहा? ऐसा व्यक्ति समाज के कल्याण की ओर क्या ध्यान दे सकता है?
निवारण
अंग्रेजों से विरासत में मिली हुई वर्तमान शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है इसके लिए हमे पाठ्यक्रम में व्यावहारिक जीवन संबन्धी जानकारियों को स्थान देना होगा, पुस्तकों का बहुत भारी बोझ कम करने के साथ-साथ परीक्षा में अंकों की महत्ता को भी समाप्त करने की जरूरत है, बालकों का सामान्य ज्ञान बढ़ाने के अधिक साधन उपस्थित किये जाऐं, शिक्षा शुल्क, इतना कम हो कि उसे साधारण श्रेणी के लोग भी आसानी से उठा सकें एवं समय-समय पर शिक्षकों की योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल का भी जांच किया जाए।
निष्कर्ष
हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली गैर-तकनीकी छात्र-छात्राओं की एक ऐसी फौज तैयार कर रही है जो अपने परिवार व समाज पर बोझ बन कर रह जाती है । अत: शिक्षा को राष्ट्र निर्माण व चरित्र निर्माण से जोड़ने की नितांत आवश्यकता है ।
Thanku
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