EKLAVYA CAMPUS
परिचय
देश में लोकसभा चुनावों के बाद सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और उपचुनावो कों मिलाकर कई चुनाव होते हैं। ऐसे में इन चुनावों का खर्चा, व्यवस्था और देखरेख के लिए चुनाव आयोग के ऊपर पड़ने वाले भार कम करने के लिए वन नेशन, वन इलेक्शन के मुद्दे पर सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है। जो पूरे देश में हर पांच साल में एक ही बार में एक चुनाव कराया जाएगा।
विस्तृत भाग
हाल ही में कानून दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा तथा तथा राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ संपन्न कराने के बात कही है जिस पर नीति आयोग ने कहा है कि वर्ष 2024 में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव एक साथ कराना राष्ट्रहित में होगा।ये पहली बार नहीं है इससे पहले भी वन नेशन-वन इलेक्शन का विचार चर्चा में रहा है।इलेक्शन कमीशन ने पहली बार साल 1983 में इसे लेकर सुझाव दिया था।
लाभ
अगर ऐसा होता है तो इससे बहुत फायदा होगा-आयोग को बार-बार चुनाव की तैयारी से छुटकारा मिलेगा,चुनावी खर्चों में कमी आएगी(नीति आयोग के मुताबिक, साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव पर करीब 1,115 करोड़ रुपये का खर्च आया था।जबकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव पर करीब 3870 करोड़ रुपये खर्च हुए),सुरक्षा संसाधनों/शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पुलिसकर्मियों के इस्तेमाल में कमी आएगी,भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा एवं सरकारी प्रक्रिया बाधित होने के अवसर कम हो जाएंगें।
नुकसान
इस व्यवस्था से बहुत फायदा भी है तो इससे कुछ नुकसान भी हैं-जनता के प्रति जवाबदेही का कम होना, क्षेत्रीय एजेंडे पर राष्ट्रीय एजेंडे का दबदबा, क्षेत्रीय पार्टियों के लिए संकट, चुनाव के व्यक्तिकेंद्रित होने की आशंका,स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने का पेंच आदि शामिल है।
निष्कर्ष
एक देश, एक चुनाव एक उत्तम विचार है फिर भी यदि संविधान संशोधन के माध्यम से यह विचार लाया जाता है तो यह ध्यान रखना होगा कि संघवाद के मूल्य संरक्षित रहे और देश की विविधता अक्षुण्ण बनी रहे।
Thanku
No comments:
Post a Comment