Thursday, July 12, 2018

आरक्षण अच्छा है या बुरा



                                               आरक्षण: अच्छा या बुरा
आरक्षण उस प्रक्रिया का नाम है जिसे भारत की सरकार द्वारा सरकारी संस्थाओं में कुछ पिछड़ी जातियों की सीटें रोक ली जाती है अर्थात उस स्थान पर केवल एक विशेष जाति का व्यक्ति ही काम कर सकता है।


इतिहास
सन् 1902 में कोल्हापुर रियासत के राजा छत्रपति शाहूजी महाराज ने सबसे पहले 50 प्रतिशत आरक्षण दलितों और पिछड़ों को दिया।1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रस्ताव पास किया, जो पूना समझौता कहलाता है, जिसमें दलित वर्ग के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए।1942 में बी आर अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के समर्थन के लिए अखिल भारतीय दलित वर्ग महासंघ की स्थापना की। उन्होंने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग की।



फायदे एवं नुकसान
भारतीय समाज में पिछड़े एवं कमजोर वर्ग की उन्नति के लिए आरक्षण दिया गया जिससे उच्च वर्गों द्वारा जो शोषण की किया जाता था वह कम हो सका। सार्वजनिक सेवाओं एवं शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण के कारण उन्हें ऊपर उठने का मौका मिला। लेकिन आरक्षण का फायदा वैसे लोगों को भी मिल रहा है जो आर्थिक रुप से बहुत ही मजबूत है। आरक्षण के कारण कुछ अयोग्य लोग भी ऊंचे पदों पर चले जाते हैं जिससे देश और समाज को काफी नुकसान होता है।



सुझाव
आरक्षण वास्तव में समाज के उन्हीं लोगों के लिए हितकर हो सकता है जो अपंग है किंतु शिक्षा और गुण होते हुए भी अन्य लोगों से जीवन में पीछे रह जाते हैं उन गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण आवश्यक है जो गुणी होते हुए भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं न कि जाति  और धर्म के आधार पर आरक्षण हो।



निष्कर्ष
देश की उन्नति के लिए आवश्यक है की आरक्षण को हटाकर हम सब को एक समान रूप से शिक्षा दें और अपनी उन्नति का अवसर पाने का मौका दें।

Thanku

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