डिजिटल इंडिया
भूमिका
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 1 जुलाई, 2015 को डिजिटल इंडिया पहल की शुरुवात की जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सके। इसके लिए 113 हजार करोड़ रूपये के अनुमानित बजट की व्यवस्था है जिसे 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
लाभ
इस अभियान के तहत शिक्षा ,अस्पताल समेत सभी सरकारी दफ्तरों को गांव से देश की राजधानी तक जोड़ा जाएगा जिससे उन्हें घर बैठे ही सारी जानकारियों का लाभ मिलेगा। किसी भी स्थान से अपने दस्तावेज और प्रमाणपत्र को ऑनलाइन जमा करना लोगों के लिए संभव बनाएगा जो शारीरिक काम को घटाएगा। ई-हस्ताक्षर संरचना के द्वारा नागरिक अपने दस्तावेजों को ऑनलाइन हस्ताक्षरित करा सकेंगे। डिजिटल लॉकर व्यवस्था लागू करने को यह मुमकिन बनाएगा। देश के लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध होगी जिसकी सहायता से लोग ऑनलाइन की सुविधाओं का उपयोग करना सीखेंगे।इससे प्रत्यक्ष रूप से 1.7 करोड़ लोगों को और अप्रत्यक्ष रूप से 8.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा |
चुनौतियाँ
डिजिटल भारत होने से आम व्यक्ति की जिंदगी आसान तो होगी, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी सामने आएगी जैसे-इंटरनेट की धीमी स्पीड,देश की कम्प्यूटर तथा सूचना प्रणाली इंटरनेट से जुड़ी हुई है इसे सुरक्षा का खतरा भी बना रहेगा,बिजली की परेशानी, प्रशिक्षण का अभाव मुख्य रूप से शामिल है।
सुझाव और निष्कर्ष
डिजिटल इंडिया का सपना तभी पूरा हो सकेगा जब इन चुनौतियों को गंभीरता से लिया जाएगा। किसी भी दूसरे देश से ज्यादा वृद्धि और अच्छे भविष्य के लिये भारत में डिजिटलीकरण की बहुत जरुरत थी।
Thanku
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