EKLAVYA CAMPUS
परिचय
हमारी सामूहिक भौतिक समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या वृद्धि की है। भारत की भूमि और वर्तमान अर्थव्यवस्था जितने लोगों का भार वहन कर सकती है उसकी अपेक्षा आबादी कहीं अधिक होने से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में संतुलन बिगड़ता है और उसका प्रभाव प्रत्येक नागरिक पर बुरा ही पड़ता है।
मुख्य भाग
पूरे दुनिया में मनुष्य की जनसंख्या हर साल लगभग 8.3 करोड़ या 1.1% की दर से बढ़ती जा रही है। वर्ष 1800 को पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग एक अरब थी, जो 2017 तक बढ़ कर 7.6 अरब हो गई है। 2100 तक इसकी आबादी 11.2 अरब तक हो सकती है। संपूर्ण विश्व में चीन के पश्चात् भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है । 2011 के जनगणना के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या 1.2 अरब रहा है जो पूरे विश्व का 17.5% है।
कारण
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं, इनमें- उच्च जन्म-दर एवं घटती हुर्इ मृत्यु-दर, अवैध प्रवास, बढ़ता जीवन प्रत्याशा, विवाह व सन्तानोत्पत्ति की भावना, अशिक्षा एवं अज्ञानता, बाल विवाह, अंधविश्वास,
लडके की चाह मे लडकियाँ पैदा करना प्रमुख हैं।
प्रभाव
आजादी के 70 साल के बाद भी बढ़ती आबादी के कारण देश का परिदृश्य कुछ खास अच्छा नहीं है। भारत जैसे देश में इतनी ज्यादा आबादी के लिए रोजगार पैदा करना बहुत मुश्किल है जिससे बेरोजगारों की संख्या मैं वृद्धि हुई है, आर्थिक मंदी, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां धीमी होती जा रहीं हैं। भूमि क्षेत्र, जल संसाधन और जंगल सभी का बहुत शोषण हुआ है। महंगाई आबादी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा शुरू की गई परिवार नियोजन योजनाओं के लाभों को कई मायनों में जोर दिया जाना चाहिए। सरकार द्वारा जन जागरुकता बढ़ाने और जनसंख्या नियंत्रण के कड़े मानदंड बनाने से देश की आबादी पर नियंत्रण पाया जा सकता है और इससे देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
Thanku
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